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धरती रो करज / कृष्णा सिन्हा

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[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>ईं धरती रो करज थारै पर ई है बेटी
थूं भी ईं को ई अन्न-जळ खायो है
थारी ई या मां है बेटी
ईं धरती रो करज थारै पर भी है बेटी।
थूं नहीं है मीराबाई, नहीं थूं पन्नाधाय,
म्हूं जाणू हूं-
पण धरती रै वास्तै,
थनैं ई कीं तो करणो ई है बेटी
ईं धरती रो करज थारै पर ई है बेटी
थूं भी ईं को कर सकै उपाय
बचावण पाणी री हर बूंद रो।
ऊगा सकै थूं पेड़ घणा
मेहनत अर उम्मीद सूं।

टाबरां में आछा संस्कारां रा अंकुर
थानैं ई तो बोणो है
वांनैं आछी देय’र शिक्षा
ग्यान रो दीवो जोणो है।

थनैं करणो है हर मुस्किल रो सामनो
पण नीं मानणी है थनैं हार बेटी
ईं धरती रो करज थारै पर ई है बेटी
थूं ई ईं को...।</poem>
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