भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माँ / जगदीश व्योम

22 bytes removed, 04:34, 24 जनवरी 2014
तुलसी की चौपाई-सी
माँ मीरा की पदावली-सी
माँ है ललित रूबाईरुबाई-सी।सी
माँ वेदों की मूल चेतना
माँ गीता की वाणी-सी
माँ त्रिपिटिक के सिद्ध सुक्त-सी
लोकोक्तर कल्याणी-सी।सी
माँ द्वारे की तुलसी जैसी
माँ बरगद की छाया-सी
माँ कविता की सहज वेदना
महाकाव्य की काया-सी।सी
माँ अषाढ़ की पहली वर्षा
सावन की पुरवाई-सी
माँ बसन्त की सुरभि सरीखी
बगिया की अमराई-सी।सी
माँ यमुना की स्याम लहर-सी
रेवा की गहराई-सी
माँ गंगा की निर्मल धारा
गोमुख की ऊँचाई-सी।सी
माँ ममता का मानसरोवर
हिमगिरि-सा विश्वास है
माँ श्रृद्धा की आदि शक्ति-सी
कावा है कैलाश है।है
माँ धरती की हरी दूब-सी
माँ केशर की क्यारी है
पूरी सृष्टि निछावर जिस पर
माँ की छवि ही न्यारी है।है
माँ धरती के धैर्य सरीखी