Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश 'कँवल' |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhaz...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश 'कँवल'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जब भी मिलता है कोर्इ शख़्स अकेला मुझको
ज़र्रा-ज़र्रा1 नज़र आता है सुनहरा मुझको

तुम उजालों में न दे पाये कभी साथ मेरा
रास आया न कभी आह अंधेरा मुझको

फ़ुरकते-यार2 में आया है वो सैलाबे-हवस3
आइना आइना हैरत से है तकता मुझको

संग बख़्शी है जिसे शक्ले-हसीं4 आज़र5 ने
बुतपरस्ती6 का सबक़7 हंस के है देता मुझको

है फ़सद हैफ़8 जो खुशियों का समुंदर था कभी
आज वह शख़्स लगा दर्द का सहरा मुझको

हो न हो प्यार के जज़्बे का असर हो ये 'कंवल’
आज वह बुत नज़र आता है खुदा सा मुझको

1. कण-कण 2. सखा का वियोग 3. लिप्सा-लोभ का बाढ़ 4. सुन्दर मुखड़ा
5. एक संग तराश 6. मूर्तिपूजा 7. शिक्षा 8. पश्चाताप।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits