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तलघर / उत्तमराव क्षीरसागर
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चेहरे के किसी सुराख से
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मछलियाँ नहीं छिपायी जाती थीं
जहाँ से बचने के लिए लेते थे पनाह यहाँ
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कभी तो
Uttamrao Kshirsagar
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