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<poem>
दिल की दुनिया हो गर्इ जे़रो-ज़बर1
जब भी याद आया तेरा तर्ज़े सफ़र2

वो सलामे-शौक़3 वो अफ़्सुर्दगी4
वक़्त-ए-रूख़सत5 वो तेरी नीची नज़र

ख़ारे-तिश्नालब6 की आंखों में चमक
आबला-पा मुझको बढ़ता देखकर

इश्क़ ही के दम से दोनों की बहार
दश्ते-वहशत7 हो कि हो मजनूं का घर

इश्क़ की तक़दीर में कुछ भी नहीं
शमअ़ को जलना है लेकिन ता-सहर8

</poem>
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