Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपालदास "नीरज" |अनुवादक= |संग्रह=ग...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"
|अनुवादक=
|संग्रह=गीत जो गाए नहीं / गोपालदास "नीरज"
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatGeet}}
{{KKCatUttarPradesh}}
<poem>

भूल गया है तू अपना पथ,

और नहीं पंखों में भी गति,

किंतु लौटना पीछे पथ पर अरे, मौत से भी है बदतर ।

खग ! उडते रहना जीवन भर !



मत डर प्रलय झकोरों से तू,

बढ आशा हलकोरों से तू,

क्षण में यह अरि-दल मिट जायेगा तेरे पंखों से पिस कर ।

खग ! उडते रहना जीवन भर !



यदि तू लौट पडेगा थक कर,

अंधड काल बवंडर से डर,

प्यार तुझे करने वाले ही देखेंगे तुझ को हँस-हँस कर ।

खग ! उडते रहना जीवन भर !



और मिट गया चलते चलते,

मंजिल पथ तय करते करते,

तेरी खाक चढाएगा जग उन्नत भाल और आखों पर ।

खग ! उडते रहना जीवन भर !


</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits