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Kavita Kosh से
खत्म हो सकता नहीं यह खेल बाकी साँस जब तक
वह नया कच्चा खिलाड़ी खेल के जो बीच ही में
इसलिए फ़िर से जुटा जो खो गया उत्साह मन का।
आज तो अब बन्द कर दो खेल यह जीवन-मरण का।
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