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07:50, 7 मार्च 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोपालदास "नीरज"
|अनुवादक=
|संग्रह=गीत जो गाए नहीं / गोपालदास "नीरज"
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<poem>
क्यों रुदनमय हो न उसका गान!
मृत्यु का ही कर भयंकर
भग्न छाती पर अरे घर
पूर्ण जो कर सके अपने हृदय के अरमान।
क्यों रुदनमय हो न उसका गान!
क्या करेगी शान्त उसका
हृदय-मदिरा की मधुरता
शान्ति केवल पा सके जो उर बना पाषाण।
क्यों रुदनमय हो न उसका गान!
क्या हृदय-अभिलाषा उसकी
और मधु की प्यास उसकी
अश्रु से ज्योतित करे जो आँख का सुनसान।
क्यों रुदनमय हो न उसका गान!
</poem>
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