Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमीर खुसरो |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGee...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अमीर खुसरो
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
अब आए न मोरे साँवरिया, मैं तो तन मन उन पर लुटा देती।
घर आए न मोरे साँवरिया, मैं तो तन मन उन पर लुटा देती।
मोहे प्रीत की रीत न भाई सखी, मैं तो बन के दुल्हन पछताई सखी।
होती न अगर दुनिया की शरम मैं तो भेज के पतियाँ बुला लेती।
उन्हें भेज के सखियाँ बुला लेती।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits