Changes

कचट / हरिऔध

1,779 bytes added, 13:34, 17 मार्च 2014
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ |अ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
|अनुवादक=
|संग्रह=चुभते चौपदे / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
क्या न हित-बेलि लहलही होगी।

क्या सकेगा न चैन चित में थम।

हो सवें+गे न क्या भले दिन फल।

क्या सकेंगे न फूल फल अब हम।

साँसतें क्या इसी तरह होंगी।

जायगा सुख न क्या कभी भोगा।

क्या दुखी दिन बदिन बनेंगे ही।

क्या वु+दिन अब सुदिन नहीं होगा।

क्या बचाये न बच सकेगा वु+छ।

क्या चला जायगा हमारा सब।

क्या गिरेंगे इसी तरह दिन दिन।

क्या फिरेंगे न दिन हमारे अब।

कर लगातार भूल पर भूलें।

क्या रहेंगे सदा बने भोले।

क्यों खेले खोखले बना कोई।

क्या खुलेगी न आँख अब खोले।

क्या बुरे से बुरे दुखों को सह।

एड़ियाँ ही घिसा करेंगे हम।

क्या टलेंगे न पीसने वाले।

क्या सदा ही पिसा करेंगे हम।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits