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आतंकवाद / रफ़ीक शादानी

7 bytes added, 15:25, 23 मार्च 2014
<poem>
बुरे काम का बुरा नतीजा
भीतर से मन बोला .
पाए गए जब नोट का गड्डा
तन डोला मन डोला.
रामलला पर फेकै आए
कुछ लोगै हथगोला.
उनइ के हथवन में
दग्गा हो गए उड़नखटोला.
यहकी ख़ातिर करो ज़िहाद
मिटे विश्व से आतंकवाद.
पांच के नालायक औलाद
तोसे तो अच्छे ज़ल्लाद.
बड़े बहादुर बनत हौ बेटा
आए के देखो फैज़ाबाद.
</poem>
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