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11:04, 24 मार्च 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=रमाशंकर यादव 'विद्रोही'
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=अवधी
}}
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<poem>
जनी जनिहा मनइया जगीर मांगात
ई कलिजुगहा मजूर पूरी शीर मांगात
बीड़ी-पान मांगात
सिगरेट मांगात
कॉफी-चाय मांगात
कप-प्लेट मांगात
नमकीन मांगात
आमलेट मांगात
कि पसिनवा के बाबू आपन रेट मांगात।
</poem>