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सुनो बिटिया... / सुमन केशरी

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सुनो बिटिया
मैं उड़ती हूँ खिड़की के पार
चिड़िया बन
तुम देखना
खिलखिलाती
ताली बजाती
उस उजास को
जिसमें
चिड़िया के पर
सतरंगी हो जायेंगे
ठीक कहानियों की दुनिया की तरह

तुम सुनती रहना कहानी
देखना
चिड़िया का उड़ना आकाश में
हाथों को हवा में फैलाना सीखना
और पंजों को उचकाना

इसी तरह तुम देखा करना
इक चिड़िया का बनना

सुनो बिटिया
मैं उड़ती हूँ
खिड़की के पार
चिड़िया बन
तुम आना…..
</poem>
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