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माँ, तुम एक छाया सी / सुमन केशरी
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11:39, 31 मार्च 2014
कुछ गुनगुना रही थी
अस्फुट स्वर में।
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मुझे मेरे ही खेल की दुनिया में मगन कर आहिस्ता से चली गई तुम ...
आज भी जब मैं ढूंढ़ती हूं तुम्हें
Gayatri Gupta
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