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08:47, 2 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
|अनुवादक=
|संग्रह=चोखे चौपदे / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
क्या कहें हम और हम ने आज ही।
आँख से मेहँदी लगाई देख ली।
जब ललाई और लाली के लिए।
तब हथेली की ललाई देख ली।
कर रही हैं लालसायें प्यार की।
क्या लुनाई के लिए अठखेलियाँ।
या किसी दिल के लहू से लाल बन।
हो गई हैं लाल लाल हथेलियाँ
</poem>