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मिलो कभी मत, नहीं खबर लो, कभी न दो सुख-दुख-संवाद।
पूर्णरूपसे पूर्णरूप से भूलो मनसेमन से, मरनेपर मरने पर भी करो न याद॥
मैं पर तुम्हें नहीं भूलूँगी, ताकूँगी न दूसरी ओर।
न्योछावर हो चुका तुम्हींपर तुम्हीं पर जीवन यह मेरा, चितचोर!
मरण-समय मानस-थलमें रख मस्तक बन्धु! तुम्हारी गोद।
निरख तुम्हें अपलक नेत्रोंसे नेत्रों से मर जान्नँगी मैं अति मोद॥मरनेपर मरने पर भी सदा रहेगा मेरा तुमसे प्रिय सबन्ध।टूट नहीं सकता वह, जहाँ न होती काम-कलुषकी कलुष की गन्ध॥
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