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Kavita Kosh से
प्रियतम! मीठी नित याद तुम्हारी आती।
मैं पलभर तुमको कभी बिसार न पाती॥
हो होते कभी न मुझसे पलभर न्यारे॥
दे दर्शन मुझको सदा परम सुख देते।
यों मिलनेपर भी मिलनेकी अभिलाषा।
रहती बढ़ती ही नित्य मिलनकी आशा॥
नित मिलनेपर मिलने पर भी पल न दूर स्मृति होती।
वह सदा तुम्हींमें प्यारे! जगती-सोती॥
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