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10:41, 4 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रेमचन्द गांधी
|अनुवादक=
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<poem>
भले ही नहीं हों हमारे पास
पूजा और प्रार्थना जैसे शब्द
इनकी जगह हमने रखे
प्रेम और सम्मान जैसे शब्द
इस सृष्टि में
पृथ्वी और मनुष्य को बचाने के लिए
बहुत जरूरी हैं ये दो शब्द.
</poem>
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