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09:38, 9 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=देवयानी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
धूप और बारिश के बीच
आसमान मे तना इन्द्रधनुष हैं
मेरे बच्चे
आच्छादित है फलक
उनकी सतरंगी आभा से
जिसके आर पार पसरा है
हरा सब ओर
उनके पीछे
कहीं ज्यादा गाढा हो जाता है
आसमान का नीला
कहीं ज्यादा सरसब्ज हो जाती है धरती
</poem>