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संज्ञान / देवयानी

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<poem>
जब आंखे खोलो तो
पी जाओ सारे दृश्‍य को
जब बंद करो
तो सुदूर अंतस में बसी छवियों
तक जा पहुंचो

कोई ध्‍वनि न छूटे
और तुम चुन लो
अपनी स्‍मृतियों में
संजोना है जिन्‍हें

जब छुओ
ऐसे
जैसे छुआ न हो
इससे पहले कुछ भी
छुओ इस तरह
चट्टान भी नर्म हो जाए
महफूज हो तुम्‍होरी हथेली में

जब छुए जाओ
बस मूंद लेना आंखें

हर स्‍वाद के लिए
तत्‍पर
हर गंध के लिए आतुर तुम
</poem>
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