974 bytes added,
08:16, 11 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=केदारनाथ सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=सृष्टि पर पहरा / केदारनाथ सिंह
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जब ट्रेन चढ़ता हूँ
तो विज्ञान को धन्यवाद देता हूँ
वैज्ञानिक को भी
जब उतरता हूँ वायुयान से
तो ढेरों धन्यवाद देता हूँ विज्ञान को
और थोड़ा सा ईश्वर को भी
पर जब बिस्तर पर जाता हूँ
और रोशनी में नहीं आती नींद
तो बत्ती बुझाता हूँ
और सो जाता हूँ
विज्ञान के अंधेरे में
अच्छी नींद आती है।
</poem>