भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्या दूँ मैं उपहार / तारा सिंह

No change in size, 07:48, 13 अप्रैल 2014
जिसके धूमैली गंध को फ़ाड़कर ऊपर जा
नहीं सकता, उलझकर जाता विश्व का सब नाद
 
नीड़ छिना बुलबुल चंचु में
जाने कौन सी नस हमारे राष्ट्र
देवता के, कानों की दब गई
 
जो वह बधिर हो गया
पहुँच पाता नहीं, रोटी के लिये
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,137
edits