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ऐसा क्या किया था शिव तुमने ?रची थी कौन-सी लीला ? ? ?
जो इतना विख्यात हो गया तुम्हारा लिंग
माताएँ बेटों के यश, धन व पुत्रादि के लिए
कि यदि लिंग का अर्थ
स्त्रीलिंग या पुल्लिंग दोनों है
तो इसका नाम पार्वती-लिंग क्यों नहीं ?
और यदि लिंग केवल पुरूषांग है
तो फिर इसे पार्वती-योनि भी
क्यों न कहा जाए ?
लिंगपूजकों ने
चूँकि नहीं पढ़ा ‘कुमारसम्भव’
और पढ़ा तो ‘कामसूत्र’ भी नहीं होगा,
सच जानते ही कितना हैं ?
हालाँकि पढ़े-लिखे हैं
अगर कहीं वेद-पुराण और इतिहास के
महान मोटे ग्रन्थों की सच्चाई !
औरत समझ जाए
तो फिर वे पूछ सकती हैं
सम्भोग के इस शास्त्रीय प्रतीक के --स्त्री-पुरूष के समरस होने की मुद्रा के --दो नाम नहीं हो सकते थे क्या ?
वे पढ़ लेंगी
तो निश्चित ही पूछेंगी,
कि सम्भोग के इस प्रतीक में
एक और सहयोगी है
जिसे पार्वती-योनि कहते हैं । हैं।
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