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04:34, 21 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=अनूप सेठी
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<poem>
मुझे बोरी में मत भरो लोको (लोगों)
बाजार में लुटेरों सटोरियों के हाथ बिकने से बचा लो
खाए अघाए का कौर बनने को
सरकारी गोदामों में सड़ने को
मजबूर मत करो भाइयो
उससे अच्छा है खेत में ही खाद बन गलूं
ओ लोको बोरियों में मत भरो मुझे
कोई जांबाज बचा नहीं
बेजान की जान बचाए
बच जाए दाना
भूखे के मुंह दाना जाए
रोको लोको रोको
इस धर्मी कर्मी दुनिया में सरेआम
मौत को गले लगाता मारा जाता
मेरा जीवनदाता
रोको लोको कोई रोको लोको
</poem>