543 bytes added,
04:36, 21 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनूप सेठी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पीतल के तवे पर टन्न से बजे
या लोहे की कटोरी घनघनाए
ऐसी घंटी बन बाजूं
बेड़ियां गल जाएं
पंख लग जाएं
बेहद्द तक फैले गूंज
बाल गोपाल दुनिया भर के
खिलखिलाएं.
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader