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{{KKShayar}}
* [[हुई राह मुश्किल तो क्या कर चले / गौतम राजरिशी]]
* [[हवा जब किसी की कहानी कहे है / गौतम राजरिशी]]
* [[रात भर चाँद को यूँ रिझाते रहे / गौतम राजरिशी]]
* [[खुद से ही बाजी लगी है / गौतम राजरिशी]]
* [[चुभती-चुभती सी ये कैसी पेड़ों से है उतरी धूप / गौतम राजरिशी]]* [[देख पंछी जा रहें अपने बसेरों में / गौतम राजरिशी]]* [[हैं जितनी परतें यहां आसमान में शामिल / गौतम राजरिशी]]* [[इस बात को वैसे तो छुपाया न गया है / गौतम राजरिशी]]* [[बहो, अब ऐ हवा! ऐसे कि ये मौसम सुलग उट्ठे / गौतम राजरिशी]]<* [[न समझो बुझ चुकी है आग /sort>गौतम राजरिशी]]