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{{KKRachna
|रचनाकार = राकेश खंडेलवाल
|महंगा पड़ा मायके जाना / राकेश खंडेलवाल
}}
 
तुमने कहा चार दिन, लेकिन छह हफ्ते का लिखा फसाना <br>
सच कहता हूँ मीत, तुम्हारा महंगा पड़ा मायके जाना !<br><br>