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09:28, 21 अप्रैल 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निवेदिता
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}}
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<poem>
हमारे बीच सिर्फ शब्द यात्रा करते हैं
दूर पहाडि़यों से उतरते है शब्द
नदी, झरनों में तैरते हुए
भीगे - भीगे से पहुँचते है
</poem>