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युग दास्ताँ / विपिन चौधरी

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<poem>
जगह छोड़ो,
परे हटो,
यह मैदान तुरंत प्रभाव से
खाली करो
यहाँ आयेंगे,
सबसे मशहूर नायक,
धुरंधर खिलाड़ी,
सिने तारिकाएँ,
विश्व सुंदरियाँ,
सबसे धनी व्यक्ति,
सबसे सुगठित पहलवान,
यहाँ लगातार
कई दिनों,
कई सालों,
कई शताब्दियों तक
उत्सव चलेंगे,
तेज धुनें बजेंगी,
प्रतियोगिताएँ होंगी,
हमें इनमें
शामिल होना ही होगा
चाहे अनचाहे
हम बस इतना की बच पाएंगे कि
आने वाली पीढ़ियों को
हम अपनी लाचारी की दास्तान सुना पायें
</poem>
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