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Kavita Kosh से
आदरणीय शारदा सुमन जी,
आपने महाकवि विद्यापति का नाम हिन्दी कवियों की सूची से हटा दिया है। यह उचित निर्णय नहीं है। कृपया उनका नाम फिर से हिन्दी के कवियों की सूची में जोड़ दें। विद्यापति जितने मैथिली और बंगला के कवि हैं, उतने ही हिन्दी के भी कवि हैं। जिन लोगों ने यह माँग की है कि विद्यापति को हिन्दी कवियों की सूची से हटाओ, वे अतिवादी हैं। हमें उनकी बात नहीं माननी है। उनके तर्क के हिसाब से तो तुलसीदास और जायसी अवधी के कवि हो जाएँगे और सूर ब्रज भाषा के।
सविनय
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] ([[सदस्य वार्ता:अनिल जनविजय|talk]]) 14:37, 29 अप्रैल 2014 (IST)
आदरणीय शारदा सुमन जी,