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{{KKRachna
|रचनाकार=पद्माकर
}}{{KKCatPad}}<poem> मल्लिक न मंजुल मलिंद मतवारे मिले , :::मंद मंद मारुत मुहीम मनसा की है .कहै ‘पदमाकर’ त्यों नदन नदीन नित , :::नागर नबेलिन की नजर नसा की है .
दौरत दरेर देत दादुर सु दुन्दै दीह,
:::दामिनी दमकंत दिसान में दसा की है .
बद्दलनि बुंदनि बिलोकी बगुलात बाग,
:::बंगलान बलिन बहार बरषा की है .</poem>
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