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Kavita Kosh से
|रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर
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या सुराही लगा मेरे मुँह से <br>या उलट दे नक़ाब ऐ साक़ी <br><br>
मैकदा छोड़ कर कहाँ जाऊँ <br>है ज़माना ख़राब ऐ साक़ी <br><br>
जाम भर दे गुनाहगारों के <br>ये भी है इक सवाब ऐ साक़ी <br><br>
आज पीने दे और पीने दे <br>कल करेंगे हिसाब ऐ साक़ी <br><br/poem>