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यह कैसी श्रद्धा व कैसी आस्था है|है।जिसमें भक्तों का साथ भगवान ने नहीं दिया है|है।यह कैसी अनोखी धार्मिक यात्रा है|है।जिसमें जीवित रहने की मात्रा नही है||है।।
कैसे भगवान हैं जो भक्तों से रुठ गये हैं|हैं।तभी तो भक्त आपदा के शिकार हुये हैं|हैं।श्रद्धालु कैसी आस्था व विश्वास से चले थे|थे।पर भगवान उनकी रक्षा नही कर पाये हैं||हैं।।
आज तो भगवान स्वयं ही खतरे में हैं|हैं।वे पहले अपनी रक्षा करेंगे तब भक्तों की बारी आयेगी|आयेगी।तब तक भक्तों के अरमान पानी के साथ बह जायेंगे|जायेंगे।तब तो भगवान भी उन्हें नही बचा पायेंगे||पायेंगे।।
मानसून समय से पूर्व आ गया था|था।शासन प्रशासन दैवीय विपदा का अनुमान नहीं लगा पाया था|था।वरना यात्रियों को इतनी कठिनाई नहीं झेलनी पड़ती|पड़ती।इतनी असुविधा इससे पूर्व कभी नहीं देखी गई||गई।।
सरकार की पोल पूरी तरह खुल गई है|है।राहत व बचाव कार्य भी संतोष जनक नहीं है|है।हजारों यात्रियों की मौत हो चुकी है|है।गाँव के गाँव सैलाब में बह गये हैं||हैं।।
केदारनाथ की सारी धर्मशालाओं में हजारों यात्री टिके हुये थे|थे।सब के सब जल प्रलय में समा गये|गये।सारा कारोबार ठप्प हो गया है|है।लोग भूखे मर रहे हैं, दाने-दाने को तरस रहे हैं|हैं।
ऐसी विभीषिका कभी देखी न सुनी थी|थी।यह आपदा अचानक ही आई थी|थी।शायद पूजा की विधि में कुछ कमी रह गई होगी|होगी।वरना केदार नाथ इतनी प्रलय न मचाते||मचाते।।
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