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|रचनाकार=संतोष मायामोहन
|संग्रह=मंडाण / नीरज दइया
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<poem>पति थे
म्हारै ई गरभ पळो।

आवो पांखां बा’र

मुळको
कर मसकरी
बोलो-- मां!</poem>
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