Changes

{{KKRachna
|रचनाकार=कैफ़ी आज़मी
}}{{KKCatKavita}}{{KKVID|v=x9osWaQSxK8}}
<poem>
राम बनवास से जब लौटकर घर में आये
पाँव सरयू में अभी राम ने धोये भी न थे
कि नज़र आये वहां वहाँ ख़ून के गहरे धब्बेपांव पाँव धोये बिना सरयू के किनारे से उठे
राम ये कहते हुए अपने दुआरे से उठे
राजधानी की फज़ा आई नहीं रास मुझे
छह दिसम्बर को मिला दूसरा बनवास मुझे
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,137
edits