Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मीराबाई
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBhajan}}
<poem>
गली तो चारों बंद हु हैं मैं हरिसे मिलूं कैसे जाय॥

ऊंची-नीची राह रपटली पांव नहीं ठहराय।
सोच सोच पग धरूं जतन से बार-बार डिग जाय॥

ऊंचा नीचां महल पिया का म्हांसूं चढ्यो न जाय।
पिया दूर पथ म्हारो झीणो सुरत झकोला खाय॥

कोस कोस पर पहरा बैठया पैग पैग बटमार।
हे बिधना कैसी रच दीनी दूर बसायो लाय॥

मीरा के प्रभु गिरधर नागर सतगुरु द बताय।
जुगन-जुगन से बिछड़ी मीरा घर में लीनी लाय॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits