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07:18, 15 मई 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मीराबाई
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<poem>
हरि मेरे जीवन प्राण अधार।
और आसरो नांही तुम बिन तीनूं लोक मंझार॥
हरि मेरे जीवन प्राण अधार
आपबिना मोहि कछु न सुहावै निरख्यौ सब संसार।
हरि मेरे जीवन प्राण अधार
मीरा कहैं मैं दासि रावरी दीज्यो मती बिसार॥
हरि मेरे जीवन प्राण अधार
</poem>