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05:05, 16 मई 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=नंददास
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माई फूल को हिंडोरो बन्यो, फूल रही यमुना ।
फूलन के खंभ दोऊ, डांडी चार फूलन की, फूलन बनी मयार फूल रहे विलना ॥१॥
तामें झूले नंदलाल सखी सब गावें ख्याल, बायें अंग राधा प्यारी फूल भयी मगना ।
फूले पशु पंछी सब, देख ताप कटे सब, फूले सब ग्वाल बाल मिटे दुःख द्वंदना॥२॥
फूले घन घटा घोर कोकिल करता रोर, छबि पर वार डारो कोटिक अनंगना।
फूले सब देव मुनि ब्रह्म करे वेद ध्वनि, नंददास फूले तहाँ, करे बहु रंगना॥३॥
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