642 bytes added,
06:40, 16 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कृष्णदास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
श्री गिरिधर लाल की बानिक ऊपर आज सखी तृण टूटे री ।
चोवा चंदन अबीर कुंकुमा पिचकाइन रंग छूटे री ॥१॥
लाल के नैना रगमगे देखियत अंग अनंगन लूटे री ।
कृष्णदास धन्य धन्य राधिका अधर सुधा रस लूटे री ॥२॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader