Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चतुर्भुजदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चतुर्भुजदास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
राग विभास

भोर भये जसोदा जू बोलैं जागो मेरे गिरिधर लाल।
रतन जटित सिंहासन बैठो, देखन कों आई ब्रजबाल॥१॥
नियरैं आय सुपेती खैंचत, बहुर्यो ढांपत हरि वदन रसाल।
दूध दही माखन बहु मेवा, भामिनी भरि भरि लाई थाल॥२॥
तब हरखित उठि गादी बैठे, करत कलेऊ, तिलक दे भाल।
दै बीरा आरती उतारत,’चत्रभुज’ गावें गीत रसाल॥३॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits