Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परमानंददास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=परमानंददास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatPad}}
<poem>
रक्षा बंधन को दिन आयो।
गर्गादि सब देव बुलाये लालहिं तिलक बनायो॥१॥
सब गुरुजन मिल देत असीस चिरंजीयो ब्रजरायो।
बाढो प्रताप नित या ढोटा को परमानंद जस गायो॥२॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits