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10:44, 16 मई 2014 {{KKGlobal}}
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श्री यमुने पिय को बस तुमजु कीने ।
प्रेम के फंद ते गहिजु राखे निकट ऐसे निर्मोल नग मोल लीने ॥१॥
तुमजु पठावत तहां अब धावत सदा, तिहारे रसरंग में रहत भीने ।
दास परमानन्द पाये अब ब्रजचन्द, परम उदार श्री यमुने जु दान दीने ॥२॥
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