Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विद्यापति |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCatMaithiliR...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विद्यापति
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>
भल हर भल हरि भल तुअ कला खन, पित वसन खनहिं बघछाला।
खन पंचानन खन भुज चारी, खन शंकर, खन देव मुरारि।
खन गोकुल भए चराइअ गाय, खन भिखि मांगिए डमरू बजाए।
खन गोविंद भए लेअ महादान, खनहि भसम भरू कांख वो कान।
एक शरीर लेल दुई बास, खन बैकुंठ खनहिं कैलास।
भनई विद्यापति विपरित वानि, ओ नारायण ओ सुलपानि॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits