Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} {{KKAn...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सूरदास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatPad}}
{{KKAnthologyKrushn}}
<poem>
श्री वल्लभ भले बुरे दोउ तेरे।
तुमही हमरी लाज बढाई, विनती सुनो प्रभु मेरे ॥१॥
अन्य देव सब रंक भिखारी, देखे बहुत घनेरे ।
हरि प्रताप बल गिनत न काहु, निडर भये सब चेरे ॥२॥
सब त्यज तुम शरणागत आयो, दृढ कर चरण गहेरे ।
“सूरदास” प्रभु तुम्हारे मिलेते, पाये सुख जु घनेरे ॥३॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
1,983
edits