1,127 bytes added,
07:03, 21 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सूरदास
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBhajan}}
{{KKAnthologyKrushn}}
<poem>
नेक चलो नंदरानी उहां लगी नेक चलो नंदारानी ॥ध्रु०॥
देखो आपने सुतकी करनी दूध मिलावत पानी ॥उ०॥१॥
हमरे शिरकी नयी चुनरिया ले गोरसमें सानी ॥उ०॥२॥
हमरे उनके करन बाद है हम देखावत जबानी ॥उ०॥३॥
तुमरे कुलकी ऐशी बतीया सो हमारे सब जानी ॥उ०॥४॥
पिता तुमारे कंस घर बांधे आप कहावत दानी ॥उ०॥५॥
यह व्रजको बसवो हम त्यागो आप रहो राजधानी ॥उ०॥६॥
सूरदास उखर उखरकी बरखा थोर जल उतरानी ॥उ०॥७॥
</poem>