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08:43, 21 मई 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सूरदास
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फुलनको महल फुलनकी सज्या फुले कुंजबिहारी । फुली राधा प्यारी ॥ध्रु०॥
फुलेवे दंपती नवल मनन फुले फले करे केली न्यारी ॥१॥
फुलीलता वेली विविधा सुमन गन फुले आवन दोऊं है सुखकारी ॥२॥
सूरदास प्रभु प्यारपर बारत फुले फलचंपक बेली नेवारी ॥३॥
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