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10:05, 21 मई 2014 {{KKGlobal}}
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तबमें जानकीनाथ कहो ॥ध्रु०॥
सागर बांधु सेना उतारो । सोनेकी लंका जलाहो ॥१॥
तेतीस कोटकी बंद छुडावूं बिभिसन छत्तर धरावूं ॥२॥
सूरदास प्रभु लंका जिती । सो सीता घर ले आवो॥३॥
तबमें जानकीनाथ०॥
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