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12:10, 25 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पुष्पिता
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
बादल-बूँदों की तरह
तुम हो मुझमें
इन्द्रधनुषी रंगों की तरह।
मछलियाँ गाती हैं
सूर्यागमन की अगवानी का गान
जैसे - मैं तुम्हारा प्रणय।
हवाएँ चुपचाप
घूमती हैं इधर से उधर
प्यार की सुगंध के लिए
खोजती हैं तुम्हें।
</poem>