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05:07, 26 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पुष्पिता
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<poem>
दुःख में
बचा है ईश्वर
ईश्वर को
खोजती हैं आँखें
दुःख में
अपनी आत्मा में
खड़ा करती हैं ईश्वर
दुःख के विरुद्ध
बुद्ध बनकर।
</poem>
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