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04:33, 30 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गगन गिल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
दोस्त के इंतज़ार में
उसने सारा शहर घूमा
शहर का सबसे सुन्दर फूल देखा
शहर की सबसे शांत सड़क सोची
एक किताब को छुआ धीरे धीरे
उसे देने के लिए
कोई भी चीज उसे
खुशआमदीद कहने के लिए
काफी न थी!
</poem>
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